राजा दशरथ – RAJA DASHARATH









राजा दशरथ – RAJA DASHARATH





राजा दशरथ – RAJA DASHARATH


RAJA DASHARATH




राजा दशरथ – RAJA DASHARATH



RAJA DASHARATH अवधपुरी मे रघुकुलशिरोमणि राजा दशरथ रहते थे उनकी तीन रानीया थी Iसभी पवित्र आचरण वाली थी  वे पति के अनुकुल आचरण करने वाली थी I 


RAJA DASHARATH एक बार राजा के मन मे ग्लानि हुइ कि मेरे पुत्र नही है  राजा तुरंत गुरु के घर गये और प्रणाम कर अपने मन कि व्यथा बताया  I  तब गुरु वशिष्ठ ने कहा के हे राजन इसमे परेसान होने कि कोइ बात नही आपके चार पुत्र होंगे और चारो पुत्र तिनो लोको मे प्रसिद्ध होंगे I


RAJA DASHARATH वशिष्ठजी ने ऋषि शृंगी को बुलाया और उनसे पुत्र्कामेष्टि यज्ञ कराया  यज्ञ से प्रसन होकर अग्नि देव चरु (हविष्यान खिर) लिये प्रकट हुवे  और समझाया कि इसे जिसे जरुरत हो जरुरत के मुताबिक भाग लगाकर बाट दो  ये समझाकर अंतर्ध्यान हो गये I


RAJA DASHARATH राजा ने तुरंत अपनी रानीयो को बुलाया और आधा भाग कौशल्या को दिया I और आधे भाग को दो भागो मे बाटकर एक भाग कैकेई को दिया I  शेष जो बचा रहा उसका दो भाग करके राजा ने कौशल्या से अनुमति लेकर सुमित्रा को दिया I इस प्रकार तिनो रानिया गर्भवती हुइ और समय सुख्पुर्वक निकलता रहा 


(समाप्त)



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